बहराइच के सिकंदरपुर में 500 किलो विस्फोटक बरामद, 70 हिरासत में, सीएम योगी के दौरे से पहले हड़कंप

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बहराइच, उत्तर प्रदेश: 8 जून 2025 को सुबह 8-9 बजे हरदी थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर गांव में खेतों में 3-4 धमाकों से हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने लाठी-डंडों के साथ 40 से ज्यादा संदिग्धों को घेर लिया। महसी से बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह और हजारों ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जांच में पता चला कि अल्फा जियो इंडिया लिमिटेड तेल और गैस की खोज के लिए अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक का इस्तेमाल कर रही थी। पुलिस ने 500 किलो विस्फोटक बरामद किया और 70 लोगों को हिरासत में लिया। इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।

शनिवार रात से सिकंदरपुर, सधुवापुर, लखनापुर, बलासराय, और औराही गांवों में 20 किमी के दायरे में 60 से ज्यादा जगहों पर बोरिंग और तार बिछाने का काम चल रहा था। रविवार सुबह धमाकों की आवाज से ग्रामीण डर गए। कंपनी कर्मियों ने पहले “रेल लाइन बिछाने” या “भेड़िया खोजने” जैसे भ्रामक जवाब दिए। ग्राम प्रधान की सूचना पर विधायक सुरेश्वर सिंह ने पुलिस को बुलाया। एक कंटेनर से 500 किलो अमोनियम नाइट्रेट (द्वितीय श्रेणी का विस्फोटक) बरामद हुआ। सीतापुर से बम स्क्वायड ने विस्फोटक सीज किया। हिरासत में लिए गए ज्यादातर कर्मी पश्चिम बंगाल के हैं, और उनके दस्तावेज जांचे जा रहे हैं।

कंपनी का दावा:
अल्फा जियो के मैनेजर कुलदीप शर्मा ने कहा कि कंपनी को पेट्रोलियम और गृह मंत्रालय से तेल-गैस खोज की अनुमति मिली थी। फरवरी 2024 में जिला प्रशासन को सूचना दी गई थी, लेकिन रविवार होने के कारण ताजा जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने इसे “राष्ट्रीय हित” का कार्य बताया।

प्रशासन की कार्रवाई:
एडीएम गौरव रंजन श्रीवास्तव और एएसपी ग्रामीण डीपी तिवारी ने स्थिति संभाली। एडीएम ने पुष्टि की कि कंपनी ने मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उल्लंघन किया। एसडीएम आलोक प्रसाद ने कहा कि उन्हें पहले से जानकारी नहीं थी। पुलिस और पीएसी की तैनाती के साथ इलाका सील है।

विधायक का रुख:
सुरेश्वर सिंह ने इसे “सुरक्षा चूक” और “संभावित साजिश” करार दिया, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 10 जून को चित्तौरा में दौरा था। उन्होंने दौरे को रद्द करने की मांग की और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। सिंह ने नेपाल सीमा से 47 संदिग्ध घुसपैठियों के खुफिया इनपुट का हवाला देते हुए सवाल उठाए।

विवाद के कारण:

  • कंपनी ने बिना स्थानीय प्रशासन की अनुमति के विस्फोटक गतिविधियां शुरू कीं।
  • ड्रिलिंग से जमीन में कंपन और मकानों में दरारें आईं, जिससे ग्रामीण नाराज हुए।
  • खेत मालिकों की सहमति नहीं ली गई।
  • नेपाल सीमा की निकटता और आतंकी खतरों के इनपुट ने चिंता बढ़ाई।

ONGC का पक्ष:
अल्फा जियो को ऑयल इंडिया लिमिटेड ने गंगा-पंजाब बेसिन में हाइड्रोकार्बन खोज के लिए नियुक्त किया था। ONGC ने माना कि कंपनी ने स्थानीय पुलिस को सूचना नहीं दी, जिससे विवाद हुआ। ग्रामीणों ने कर्मचारियों को बंधक बनाया, जिन्हें बाद में हरदी थाने ले जाया गया।

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Mohd Taqveem

Siddiqui

is a writer covering Politics, Sports, Entertainment. He loves crafting engaging stories that inform and inspire readers.