मुरादाबाद के मझोला थाना क्षेत्र में रामनगर कॉलोनी के निवासी किसान भूपकिशोर सैनी (50) का शव उनके घर से महज 150 मीटर दूर एक प्लॉट के गेट पर रस्सी से लटका मिला। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। परिजनों ने इसे हत्या करार देते हुए भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए और हंगामा किया।
मृतक के बेटे सूरज सैनी की तहरीर पर पुलिस ने भाजपा महानगर उपाध्यक्ष दिनेश सिसोदिया, दो पार्षदों राहुल देव वरुण और राजेश गुप्ता, विनीत शर्मा, राजेंद्री देवी, पिंटू, और बबलू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया। पोस्टमॉर्टम के बाद गुस्साए लोगों ने प्रकाशनगर चौराहे पर शव रखकर जाम लगा दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की।
भूपकिशोर का परिवार रामनगर कॉलोनी में रहता है, और उनका खेत घर से कुछ ही दूरी पर है। सूरज ने बताया कि विवाद की जड़ उनके खेत के बगल में विनीत शर्मा और उनकी शिक्षिका बहन राजेंद्री देवी का प्लॉट है। 2005 में उनके परिवार के एक व्यक्ति ने यह प्लॉट बेचा था, जिसमें रजिस्ट्री के अनुसार रास्ता दक्षिण दिशा में होना था। लेकिन 18 मई 2025 को विनीत और राजेंद्री ने खेत की ओर उत्तर दिशा में गेट लगा दिया, जिससे विवाद शुरू हुआ। सूरज का आरोप है कि उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की, लेकिन भाजपा नेता दिनेश सिसोदिया, राजेश गुप्ता, और राहुल देव के दबाव में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सूरज ने दावा किया कि इन लोगों ने उनके पिता को हत्या की धमकी भी दी थी। जिस गेट को लेकर विवाद था, उसी पर भूपकिशोर का शव लटका मिला।
सूरज के अनुसार, शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे उनके पिता खेत पर गए थे। सुबह पांच बजे पुलिसकर्मी और राजेश नाम का व्यक्ति घर आया और बताया कि भूपकिशोर का शव गेट पर लटका है। इस खबर से परिजन और स्थानीय लोग मौके पर जमा हो गए। हंगामे के बाद पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घुटने से मौत की पुष्टि हुई। दोपहर ढाई बजे शव लौटने पर लोगों ने प्रकाशनगर चौराहे पर आधे घंटे तक जाम लगाकर प्रदर्शन किया। एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह और सीओ सिविल लाइंस कुलदीप गुप्ता ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम खुलवाया।
एसपी सिटी ने बताया कि तहरीर के आधार पर सात लोगों के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में सभी तथ्यों पर गौर किया जाएगा। सूरज ने मझोला थाना पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए, उनका कहना है कि अगर पुलिस ने 18 मई के विवाद को गंभीरता से लिया होता, तो उनके पिता की जान बच सकती थी। उनका दावा है कि पुलिस ने भाजपा नेताओं के दबाव में विनीत और राजेंद्री का पक्ष लिया, जिसके बाद यह हादसा हुआ।