उत्तर प्रदेश के आगरा में 27 मई 2025 को कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के कारण एक 78 वर्षीय बुजुर्ग मरीज की मौत ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया है। फिरोजाबाद निवासी मुसाफिर राम को कूल्हे की सर्जरी के लिए सिकंदरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां बुखार और सांस लेने की समस्या के बाद उनकी RT-PCR जांच में कोविड-19 की पुष्टि हुई। उन्हें 26 मई को एसएन मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में स्थानांतरित किया गया, लेकिन 27 मई की सुबह उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने नोएडा, गाजियाबाद, और जालौन के बाद यूपी में कोविड के बढ़ते खतरे को फिर से रेखांकित किया है।
स्वास्थ्य विभाग की लचर तैयारियां
पिछली महामारी के दौरान आगरा में व्यापक इंतजाम किए गए थे, जिसमें एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, और स्वास्थ्य केंद्रों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए थे। हालांकि, वर्तमान में ये सभी वार्ड सामान्य वार्ड में बदल चुके हैं, और अलग से कोविड जांच केंद्रों की स्थापना नहीं की गई है। केवल एसएन मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में ही RT-PCR जांच की सुविधा उपलब्ध है। ओपीडी में खांसी, जुकाम, और बुखार जैसे लक्षणों वाले मरीजों के लिए फ्लू वार्ड भी शुरू नहीं किया गया है, जिससे सामान्य लक्षणों वाले मरीज जांच से वंचित रह सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि फिरोजाबाद के मरीज की मृत्यु के बाद अस्पतालों में एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अभी तक केंद्र या राज्य सरकार से कोई नई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। सीएमओ डॉ. अमित रावत ने कहा कि दो रैपिड रिस्पॉन्स टीमें बनाई गई हैं, और ताजमहल जैसे पर्यटक स्थलों पर स्वास्थ्य कर्मियों को तैनात किया गया है। फिर भी, जांच केंद्रों और आइसोलेशन वार्ड की कमी चिंता का विषय बनी हुई है।
नए वैरिएंट्स और WHO की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 और LF.7 वैरिएंट्स को “वैरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग” (VUM) की श्रेणी में रखा है, जो पहले “वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट” (VOI) थे। VUM का मतलब है कि इन वैरिएंट्स की निगरानी प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी, क्योंकि इनके कारण भारत सहित कई देशों में कोविड मामलों में तेजी देखी गई है। इन वैरिएंट्स के लक्षण ओमिक्रॉन के समान हैं, जैसे बुखार, गले में खराश, थकान, सूखी खांसी, और मांसपेशियों में दर्द। कुछ मामलों में पेट दर्द, दस्त, और भूख न लगना भी देखा गया है। INSACOG के अनुसार, NB.1.8.1 का एक मामला तमिलनाडु और LF.7 के चार मामले गुजरात में दर्ज किए गए हैं।
यूपी में कोविड की स्थिति
यूपी में 27 मई तक 35 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें लखनऊ में एक धार्मिक यात्रा से लौटा बुजुर्ग और कानपुर में 12 नए मामले शामिल हैं। नोएडा में 14 मई को एक 55 वर्षीय महिला में कोविड की पुष्टि हुई थी, जिसे होम क्वारंटीन में रखा गया है। गाजियाबाद में चार और जालौन में भी मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अधिकांश मामले हल्के हैं, और मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। फिर भी, आगरा में एक मृत्यु और जांच सुविधाओं की कमी ने स्थानीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि गंभीर मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड और RT-PCR जांच की सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। X पर यूजर्स ने आलोचना की है कि पहली मृत्यु के बाद भी आगरा में जांच केंद्र और आइसोलेशन वार्ड स्थापित नहीं किए गए। एक यूजर ने लिखा, “स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कोविड फिर से खतरा बन सकता है।” जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा ने बताया कि मुसाफिर राम को हृदय रोग, COPD, और ब्रेन क्लॉटिंग जैसी अन्य बीमारियां थीं, जिसने उनकी स्थिति को गंभीर बनाया।