पूर्वोत्तर भारत में दो दिनों की मूसलाधार मॉनसून बारिश ने असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड में भारी तबाही मचाई, जिसमें कम से कम 32 लोगों की जान चली गई।
भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन और अचानक बाढ़ ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले सात दिनों तक क्षेत्र में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिसमें असम के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट, जबकि अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किए गए हैं।
असम में भारी तबाही
असम सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है, जहां नौ लोगों की मौत हुई। गुवाहाटी के बोंडा इलाके में एक भूस्खलन ने पांच लोगों को जिंदा दबा दिया, जिनमें पूनम गोस्वामी, उनकी बेटी और एक पड़ोसी बच्ची शामिल हैं। लखीमपुर जिले में रंगनदी बांध से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण दो लोग मारे गए, जबकि गोलाघाट में एक बच्चे सहित दो लोग डूब गए। राज्य के 17 जिलों में 78,000 से अधिक लोग प्रभावित हैं, जिनमें लखीमपुर सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 41,600 लोग पीड़ित हैं। 1,200 से ज्यादा लोग पांच राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। गुवाहाटी में 111 मिमी बारिश ने 67 साल पुराना एक दिन का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिससे ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया। शुक्रवार को तेज हवाओं और बारिश के कारण गुवाहाटी हवाई अड्डे पर उड़ानें बाधित हुईं, और शनिवार को दो जिलों में स्कूल बंद रहे।
अरुणाचल प्रदेश में भारी नुकसान
अरुणाचल प्रदेश में नौ लोगों की मौत हुई, जिसमें सात लोग उस समय मारे गए जब उनकी गाड़ी बाना-सेप्पा राजमार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग-13 के पास भूस्खलन में बह गई। लोअर सुबनसिरी जिले में एक गोभी के खेत में भूस्खलन से दो मजदूरों की मौत हो गई। सिगिन नदी के उफान से ऊपरी सुबनसिरी में 100 से अधिक परिवार प्रभावित हुए। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मृतकों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की। प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है और प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता प्रदान कर रहा है।
मिजोरम और मेघालय में हानि
मिजोरम में छह लोगों की मौत हुई, जिनमें तीन म्यांमार नागरिक शामिल हैं, जो लॉन्गत्लाई शहर में एक होटल के भूस्खलन में ढहने से मारे गए। आइजोल के पास सैरंग गांव में त्लावंग नदी के उफान से बाढ़ आ गई, जिससे कई परिवारों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। मेघालय में सात लोग मारे गए, जिनमें भूस्खलन, डूबने और बिजली गिरने की घटनाएं शामिल हैं। चेरापूंजी और मावसिनराम में 47 सेमी बारिश दर्ज की गई, जो दुनिया के सबसे गीले स्थानों में से एक है।
मणिपुर और अन्य राज्य
मणिपुर की राजधानी इम्फाल में इरिल और नंबुल नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया, जिससे शहर के कई हिस्सों में जलभराव हो गया। प्रशासन ने नदी किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी दी। नागालैंड में चुमौकेदिमा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर एक डंपर के ऊपर चट्टान गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। सिक्किम में 1,500 पर्यटक मंगन जिले में फंसे हैं, जहां तीस्ता नदी में एक गाड़ी के गिरने से एक व्यक्ति की मौत हुई और आठ लापता हैं।
राहत और बचाव कार्य
असम में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और अग्निशमन टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बिजली कटौती का आदेश दिया ताकि बिजली के झटके से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। मिजोरम के गवर्नर जनरल वीके सिंह और आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो. लालनिलावमा ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और मृतकों के परिवारों के लिए 4 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की। सिक्किम में तीस्ता नदी ने निर्माणाधीन संकलंग पुल को बहा दिया, जिससे उत्तरी सिक्किम का संपर्क कट गया।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून की बारिश अधिक तीव्र और अनियमित हो रही है। पूर्वोत्तर भारत की पहाड़ी भू-संरचना इसे भूस्खलन और बाढ़ के प्रति संवेदनशील बनाती है। विशेषज्ञ बेहतर जल निकासी प्रणाली, प्रारंभिक चेतावनी तंत्र और आपदा प्रबंधन की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर