बहराइच के महसी तहसील के गदामार कला गांव में 2/3 जून 2025 की रात एक भेड़िये ने मां खुशबू के साथ बरामदे में सो रहे 2 वर्षीय आयुष को उठा लिया। मां की चीख-पुकार पर ग्रामीण जुटे, लेकिन भेड़िया बच्चे को गन्ने के खेत में ले गया।
सुबह गांव से करीब 1.5-2 किलोमीटर दूर बच्चे का क्षत-विक्षत शव मिला, जिसके दोनों हाथ और एक पैर भेड़िये ने खा लिया था। परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि तीन भेड़िये शव को नोच रहे थे। इस घटना ने इलाके में दहशत फैला दी है, और ग्रामीण रात-दिन झुंड बनाकर गांव की रखवाली कर रहे हैं।
पुलिस और वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। DFO अजीत प्रताप सिंह ने दावा किया कि शव के पास मिले पगचिह्न सियार के हैं, और थर्मल ड्रोन से दो सियार ट्रेस हुए। हालांकि, ग्रामीण और परिजन इसे भेड़िये का हमला मान रहे हैं। क्षेत्रीय BJP विधायक सुरेश्वर सिंह ने DFO के बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए उनकी कार्यशैली की शिकायत शासन से करने और उन्हें हटाने की मांग की। ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ “मुर्दाबाद” के नारे लगाए, विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।
पिछले साल महसी में भेड़ियों ने 10 लोगों की जान ली थी, जिसमें 9 बच्चे शामिल थे, और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। वन विभाग ने 6 में से 5 भेड़ियों को पकड़ा था, लेकिन “लंगड़ा” भेड़िया फरार था। ग्रामीणों का कहना है कि अभी भी कई भेड़िये सक्रिय हैं। आयुष की मां खुशबू, जो फखरपुर के कोतवाल कला से अपने मायके गदामार कला आई थी, ने वन विभाग की निष्क्रियता पर गुस्सा जताया।
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